Saturday, August 11, 2012

Kiran Machhi 12:34 AM , ,
एक यही थे सहप्रवासी इस तरफ
विजन पथ जाती उदासी इस तरफ
उस तरफ क्या माजरा है क्या पता
कूटकर भर दी उदासी इस तरफ
दूर सन्नाटा लुभाकर ले गया
हो गए वो स्वर्गवासी इस तरफ
बाअदब उस पार जाकर सो गया
खूब आती थी उबासी इस तरफ
उस तरफ होती तो होती अप्सरा
जिंदगी है देवदासी इस तरफ
-------kumar jaimini
Description: एक ग़ज़ल श्री सुरेशभाई दलाल ने
Reviewer: Kiran Machhi
Rating: 4.0
ItemReviewed: एक ग़ज़ल श्री सुरेशभाई दलाल ने

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