एक यही थे सहप्रवासी इस तरफ
विजन पथ जाती उदासी इस तरफ
उस तरफ क्या माजरा है क्या पता
कूटकर भर दी उदासी इस तरफ
दूर सन्नाटा लुभाकर ले गया
हो गए वो स्वर्गवासी इस तरफ
बाअदब उस पार जाकर सो गया
खूब आती थी उबासी इस तरफ
उस तरफ होती तो होती अप्सरा
जिंदगी है देवदासी इस तरफ
-------kumar jaimini
विजन पथ जाती उदासी इस तरफ
उस तरफ क्या माजरा है क्या पता
कूटकर भर दी उदासी इस तरफ
दूर सन्नाटा लुभाकर ले गया
हो गए वो स्वर्गवासी इस तरफ
बाअदब उस पार जाकर सो गया
खूब आती थी उबासी इस तरफ
उस तरफ होती तो होती अप्सरा
जिंदगी है देवदासी इस तरफ
-------kumar jaimini
Description: एक ग़ज़ल श्री सुरेशभाई दलाल ने
Reviewer: Kiran Machhi
Rating: 4.0
ItemReviewed: एक ग़ज़ल श्री सुरेशभाई दलाल ने
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